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বিচিত্রা: বৈদ্যুতিন রবীন্দ্র-রচনাসম্ভার

Bichitra: Online Tagore Variorum :: School of Cultural Texts and Records

विचित्रा: इलेक्ट्रॉनिक रवीन्द्ररचनावली :: स्कूल ऑफ कल्चरल टेक्स्टस एण्ड रेकॉर्डज़

 
 

पाण्डुलिपि प्रणाली

वेब्सायिट के इस अनुभाग में प्रायोजना में प्रयुक्त प्रत्येक पाण्डुलिपि की छवियाँ एवं उसकी प्रतिलिपि प्रस्तुत हैं । प्रतिलिपि प्रणाली का विस्तृत विवरण नीचे दिया गया है ।

  इस भाग में बँगला और अंग्रेज़ी रचनावों को अलग अलग नहीं किया गया है क्योंकि अक्सर एक ही पाण्डुलिपि में दोनों भाषावों के लेख मिलते हैं।


पाण्डुलिपियों में चार हिस्से हैं -
  1. RBVBMS: विश्वभारती के रवीन्द्रभवन में मूल पाण्डुलिपि संग्रह की पाण्डुलिपियाँ
  2. BMSF: रवीन्द्रभवन में ‘बँगला पाण्डुलिपि फायिलें’ (Bengali Manuscript Files) संग्रह की पाण्डुलिपियाँ
  3. EMSF: रवीन्द्रभवन में ‘अंग्रेज़ी पाण्डुलिपि फायिलें’ (English Manuscript Files) संग्रह की पाण्डुलिपियाँ
  4. HRVD: हार्वर्ड विश्वविद्यालय के ह्यूटन पुस्तकालय में रॉथिंस्टायिन संग्रह की पाण्डुलिपियाँ

इन पुस्तकालयों द्वारा दी गयी पाण्डुलिपि-संख्या को हमने बनाये रखा है।

पाण्डुलिपियों की छवियों एवं प्रतिलिपियों को देखने के दो तरीके हैं :

पाण्डुलिपि सूची

  1. पाण्डुलिपि सूची पर क्लिक करें। एक तालिका प्रकट होगी जिसके प्रथम (बाँयें) खाने में पूरी पाण्डुलिपि सूची उपस्थित होगी। कौन सी पाण्डुलिपि में किन किन रचनायें उपस्थित है, यह जानकारी अन्य स्तंभों से पाठक को प्राप्त होगी।
  2. इच्छित पाण्डुलिपि-संख्या पर क्लिक करें। एक पत्ता सामने खुलेगी जिस में उद्दिष्ट पाण्डुलिपि की छवि एवं प्रतिलिपि पास-पास दिखेंगी। छवियों का परिचालन करने के दो उपाय हैं –
    • कुंजीपटल द्वारा
    • औज़ार पिटारा (टूलबार) द्वारा – पिटारा खोलने के लिये दाईं तरफ में दिया गया टूलबार चिह्न पर क्लिक करें।
  3. कुंजीपटल द्वारा छवियों का परिचालन करने के लिये निम्नांकित कुछ सरल उपाय हैं –
    कुंजीपटलपरिचालन
    Homeप्रथम पृष्ठ दिखायें
    Endअंतिम पृष्ठ दिखायें
    Backspaceपिछला पृष्ठ दिखायें
    Enterअगला पृष्ठ दिखायें
    ↑ (ऊर्ध्वमुखी तीर)पृष्ठ में उपर की तरफ़ जायें
    ↓ (अधोमुखी तीर)पृष्ठ में नीचे की तरफ़ जायें
    ← (वाममुखी तीर)पृष्ठ में बाईं ओर जायें
    → (दक्षिणमुखी तीर)पृष्ठ में दाईं तरफ़ जायें
    +पृष्ठ को बड़ा करें (zoom in)
    -पृष्ठ को छोटा करें (zoom out)
  4. कुंजीपटल द्वारा प्रतिलिपियों का परिचालन करने के लिये निम्नांकित कुछ सरल उपाय हैं
  5. कुंजीपटलपरिचालन
    Pg Upपृष्ठ के उपरी भाग में जायें
    Pg Dnपृष्ठ के निचले भाग में जाये
    Ctl+लिपि के आकार को बड़ा करें
    Ctl-लिपि के आकार को छोटा करें
    स्पेस बारप्रतिलिपि दिखायें / प्रतिलिपि छिपायें
  6. प्रतिलिपि में प्रयुक्त चिह्नों की व्याख्या के लिये 'Help'  बटन पर क्लिक करें।

शीर्षक सूची

इस सूची से पाण्डुलिपियों में अभिज्ञात रचनावों के ठिकानों की जानकारी प्राप्त होती है।

पाण्डुलिपियों की छवियाँ एवं प्रतिलिपियाँ

‘पाण्डुलिपियों की छवियाँ एवं प्रतिलिपियाँ ’ पर क्लिक करने के बाद पाण्डुलिपि सूची से इच्छित पाण्डुलिपियों की छवियाँ एवं प्रतिलिपियाँ देखी जा सकती हैं।

प्रतिलिपि प्रणाली

पाण्डुलिपि एवं मुद्रित पाठों के सामान्य नियम

हर पाण्डुलिपि और मुद्रित पुस्तक एवं पत्रिका की छवियों के अलावा हर पाठ की प्रतिलिपि .txt UTF-8 फायिल के रूप में पाठकों के लिये प्रस्तुत है। इनको देखने के लिये वेब्सायिट के 'कृति सूची / संपूर्ण तालिका' अनुभाग की तालिका में अथवा 'पाठान्तर' अनुभाग की तालिका में
 
चिह्न पर क्लिक करें।
प्रतिलिपियाँ छवियों के पास दाहिने तरफ़ प्रकट होंगी। तालिका में अगर किसी भी पाठ के पासवाली कोष्ठिकावों में
 
चिह्न या
 
चिह्न न हों, तो वह पाठ हमें प्राप्त नहीं  है।

प्रतिलिपि पद्धति : मानकीकरण
पाठकों की सुविधा के लिये एवं पाठान्तर सॉफ्टवेयर व्यवस्था के लिये हर प्रतिलिपि की तैयारी में कुछ सामान्य नियमों का प्रयोग किया गया है। इसके कारण यदा कदा कुछ मूल पाण्डुलिपि एवं पुस्तक के पाठ-विन्यास में परिवर्तन करना पड़ा। पर मूल पाठ-विन्यास छवियों में देखा जा सकता है।

पाण्डुलिपि प्रतिलिपि प्रणाली के कुछ विशेष नियम

हर पाण्डुलिपि की छवियों के अलावा उसकी प्रतिलिपि भी .txt UTF-8 फायिल के रूप में पाठकों के लिये प्रस्तुत है। पाण्डुलिपि प्रतिलिपियों को पेश करने के दो तरीके अपनाये गये हैं –

समूचे पाण्डुलिपि के पन्नों की क्रमानुसार प्रतिलिपि

इस प्रस्तुति में पाण्डुलिपि के प्रथम पन्ने से अंतिम पन्ने तक की  प्रतिलिपि क्रमानुसार की गयी है (अर्थात् जिस वर्तमान क्रम  में पन्नें आबद्ध हैं )। चूँकि कोई-कोई रचनावों के अंश एक ही पाण्डुलिपि में अलग अलग स्थानों में बिखरे हुवे हैं, और कभी कभी अन्य रचनावों के पाठों के बीच लिखे हुवे हैं, इसलिये  इस प्रतिलिपि में किसी विशिष्ट रचना-पाठ को क्रमानुसार पढ़ना पाठकों के लिये कठिन हो सकता है। दरअसल पाण्डुलिपियों में हाथ की लिखावट पढ़नें में और लोपन एवं संयोजन इत्यादि समझनें मे पाठकों की सहायता करना ही इस प्रतिलिपि का मुख्य उद्देश्य है।  इस लिये इन प्रतिलिपियों को छवियों के पास एवं छवियों के साथ प्रदर्शित किया गया है।   पाण्डुलिपि में किये गये लोपनों, संयोजनों और अन्य परिवर्तनों को सूचित करने के लिये निम्नांकित चिह्नों का प्रयोग किया गया है।   यह प्रतिलिपि, कुछ हद तक, संबंधित पाण्डुलिपि में उपस्थित रचना-विकास का निरूपण करती है।

पाण्डुलिपि में उपस्थित रचनावों के अंतिम पाठरूप।

हमारे अनोखे  'फिल्टर सॉफ्टवेयर' के ज़रिये, पाण्डुलिपि में लोपनों, संयोजनों और अन्य परिवर्तनों को छानकर उस पाण्डुलिपि के अनुसार हर रचना का जो अंतिम पाठरूप प्राप्त होता है, उस पाठरूप की प्रतिलिपि भी उपलब्ध है।  

पाण्डुलिपि - प्रतिलिपि पद्धति

पाण्डुलिपि में য়, র, ড়, ঢ় इत्यादि अन्य अक्षरों में बिन्दी को, गायब होने पर, ठीक जगह बिठाया गया है। इस ही तरह से लिखाई में आयें कुछ कुछ छोटे छोटे भूलों को चुपचाप संशोधित किया गया है। लिखाई के एवं मुद्रन के भूलों को प्रतिलिपि में वैसे के वैसे ही प्रस्तुत करने के नियम का यह एकमात्र उल्लंघन है।

पाण्डुलिपि प्रतिलिपियों में प्रयुक्त चिह्न

SignNote/Explanation
<पाठ>लोपित पाठ
{पाठ}संयोजित पाठ
+++अस्पष्ट या अपठनीय पाठ
±पाठ±पाठ जिसका स्थान अनिश्चित है
৲पाठ १৲  पाठ२ पाठ२ पाठ२ ৴पाठ ३৴स्थानांतरित पाठ
[\पाठ\]रेखांकित पाठ
⋋पाठरूप १⋋ ⋌पाठरूप २⋌एक साथ एक ही रचनांश के दो पाठरूप
≮पाठ≯stet: पूर्वलोपित पाठ का पुनःप्रयोग
[~हाशिये में पाठ]  प्रचलित पाठ [~]हाशिये में लिखा पाठ
<⋏⋏> OR {⋏पाठ⋏} OR <⋎⋎> OR {⋎पाठ⋎} पाण्डुलिपि में जहाँ रेखा, तीरचिह्न, या तारक चिह्न का प्रयोग से किसी छोटे पाठांश (शब्द/वाक्यांश/वाक्य) का स्थानांतरण संकेत किया गया है, वहाँ:
  1. अगर पाठांश को उपर की तरफ़ स्थानांतरित किया गया है, तब
    पुराने (नीचे वाले) स्थान में <⋏⋏> चिह्न दिये गये हैं (इन कोष्ठकों मे पाठ नहीं रखा गया है), और
    नये (उपर वाले) स्थान में {⋏पाठ⋏} चिह्न देकर, चिह्नों एवं कोष्ठकों के बीच स्थानांतरित पाठ रखा गया है।
  2. अगर पाठांश को नीचे की तरफ़ स्थानांतरित किया गया है, तब
    पुराने (उपर वाले) स्थान में <⋎⋎> चिह्न दिये गये हैं (इन कोष्ठकों मे पाठ नहीं रखा गया है), और
    नये (नीचे वाले) स्थान में  {⋎पाठ⋎} चिह्न देकर, चिह्नों एवं कोष्ठकों के बीच स्थानांतरित पाठ रखा गया है।
  3. अगर एक ही पन्ने पर एक से अधिक पाठांश स्थानांतरित किये गये हैं, तब उनको क्रमानुसार <⋏1⋏>, <⋏2⋏>, <⋏3⋏>  इत्यादि संख्यांकित किया गया है।  
ORयदि किसी लम्बे-बड़े पाठांश को स्थानंतरित किया गया है, तब:
  • अगर पाठांश को उपर ले जाया गया है तब नये (उपर वाले) स्थान में ⋀ चिह्न रखा गया है
  • अगर पाठांश को नीचे ले जाया गया है तब नये (नीचे वाले) स्थान में ⋁ चिह्न रखा गया है
पुराने स्थान को किसी भी तरह से चिह्नित नहीं किया गया है
पाण्डुलिपि में ∟ चिह्न या एक लम्बा खड़ीपाई-जैसा चिह्न पंक्ति विच्छेदन एवं अनुच्छेद विच्छेदन संकेत करता है। इनको पाण्डुलिपि में मिलने पर, प्रतिलिपि में अगले पाठांश को सीधे अगले लायिन या अगले अनुच्छेद में रखा गया है, और उस नये लायिन या अनुच्छेद की शुरुआत में ∟ चिह्न दिया गया है।